भगवान श्री कृष्ण भीष्म पितामह को क्यों मारने गया था क्या कारण था जो भगवान श्रीकृष्ण ने क्रोध होकर भीष्म पिता पर वार करने चले गए ?
आइए जानते हैं मित्रों विस्तार से ।
। महाभारत एक धर्म युद्ध थे जो बड़े बड़े योद्धा उसमें शामिल थे अपने अपने धर्म को निभाते गया और इधर कब पाप होता गया इसकी भनक तक नहीं लगे । अधर्मी को विनाश करने हेतु भगवान श्री कृष्ण ने ऐसा खेल रचाया ताकि अधर्म की जित न ना हो सके सदा धर्म कहीं विजय हो। धर्म कहते हैं यदि किसी सत चरित्र इंसान किसी प्रकार के प्राण संकट में हैं तो आप झूठ कि सहारा लेकर उसे बचा सकते हैं आपको कोई पाप नहीं लगता है ।
भगवान श्री कृष्णा क्यों
क्रोधित हुई है भीष्मा पिता पर .
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जब महाभारत शुरू हो गया था तो इधर भीष्म पिता ने अपने ही पोता को कैसे मारेंगे पांडव पुत्र तो अपने ही पुत्र है ना और अपने हाथों से कैसे प्रहार करेंगे इसी सोचकर उन्होंने 2 दिन 3 दिन बीत चुका था कोई हथियार नहीं उठाया और ना ही किसी से युद्ध किया ।
इधर दुर्योधन ने कहने लगा कि मामा को सेना की मंत्री बनाकर बहुत बड़ी गलती की वह पांडवों को मारना नहीं चाहता है और अपने वचन पूरा करने नहीं चाहता है दुर्योधन की इस तरह बात सुन कर भीष्म पिता ने अपना प्राण ले लिया कि मैं पांडवों को प्रहार करेंगे ।भीष्म पितामह दुर्योधन के आगे विवश थे क्योंकि उन्होंने जो वचन दिया वह पूरा करने में सक्षम थे और जिसको भी वचन देता था पितामह ने आपनी वचन निभाने की प्रयास करता है । सत्य वचन देते हैं तो सत्य की कर्म करते हैं पीछे नहीं हटते हैं । ऐसी बात सुनकर उन्होंने अगले युद्ध में हथियार उठाया और पांडवों पर प्रहार करने लगा ऐसे युद्ध किया की पांडवों की लाखों सैनिक मारे गए ।.भीष्म पितामह के आगे ऐसे कोई योद्धा नहीं था सिवा भगवान श्री कृष्ण के अलावा । भगवान श्री कृष्ण ने देखा कि यदि हम पितामह को नहीं रुकें तो यह सारे पांडवों को विनाश कर देंगे . इसी कारण उन्होंने भीष्म पिता के सामने गए और कहने लगे पितामह आपने जो वचन दिया गलत इंसान के साथ दिया इससे पहले आप अपना प्राण खुद त्याग देते तो सबसे बड़ा धर्म करते लेकिन आपने ऐसा नहीं किया ।
भीष्म पितामहा ने क्रोधित होकर कहने लगे कि मेरे वचन के आगे और कुछ नहीं है मैं अपने वचन को निभाने मैं सक्षम हूं। भीष्म पितामह की ऐसी बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने क्रोधित होकर रथ से नीचे उतारकर अपनी सुदर्शन हाथ में लेकर कहने लगे मैंने जो प्रण लिया था की युद्ध के वक्त अस्त्र नहीं उठाऊंगा लेकिन आपके इस अधर्मी का साथ देकर जो अधर्म कर रहे हैं आपको विनाश कर सकता हूं ।
आपका प्राण मेरे अधीन है चाहूं तो मैं आपको अभी वध कर सकता हूं यह संसार मैं हूं , मैं ही ब्रह्मा हूं , मैं ही सत्य हूं आप अधर्म के साथ दिए हैं अपने वचन निभाने के लिए उसे सन भर में हम समाप्त कर सकता हूं ।
भगवान श्री कृष्ण की भयंकर रूप देखा तो अर्जुन डर गया और श्री कृष्ण के पैर पकड़ कर कहने लगा कि है माधव आप तो प्रण लिए थे कि हम युद्ध के वक्त अस्त्र नहीं उठाएंगे तो आप ऐसे क्यों करने जा रहे हैं आप शांत हो जाइए । अर्जुन के बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने शांत हुई है और फिर धुआंधार युद्ध चलने लगा ।