मां सरस्वती देवी की कथा

bholanath biswas
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Sarswati


देवी मां सरस्वती की पूरी कहानी जानिए हमारे साथ ।

हेलो मित्र नमस्कार उससे पहले हमारे वेबसाइट में आपको स्वागतम । 🙏

कहते हैं कि मां सरस्वती देवी के आज ही के दिन कथा पढ़ने से भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण होती है। आज मां सरस्वती देवी की पूजा है इसके लिए सभी भक्तों को सरस्वती देवी की कथा सुनना चाहिए ।  


 मित्रों आइए जानते हैं 

देवी मां सरस्वती कैसे उत्पत्ति हुई ।

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हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान शिव की आज्ञा से भगवान ब्रह्मा ने प्राणी एवं खासतौर पर मानव योनि की रचना की। लेकिन अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे, उन्हें लगता था कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया रहता है। हालाकि उपनिषद व पुराण ऋषियो को अपना अपना अनुभव है, अगर यह हमारे पवित्र सत ग्रंथों से मेल नही खाता तो यह मान्य नही है।


तब ब्रह्मा जी ने इस समस्या के समाधान के लिए अपने कमण्डल से जल अपने हथेली में लेकर संकल्प स्वरूप उस जल को छिड़कर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करनी आरम्भ की जिससे ब्रम्हा जी के किये स्तुति को सुन कर भगवान विष्णु तत्काल ही उनके सामने प्रकट हो गए और उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने आदिशक्ति दुर्गा माता का आव्हान किया। विष्णु जी के द्वारा आव्हान होने के कारण भगवती दुर्गा वहां तुरंत ही प्रकट हो गयीं तब ब्रम्हा एवं विष्णु जी ने उन्हें इस संकट को दूर करने का मां  दुर्गा से निवेदन किया।

ब्रम्हा जी तथा विष्णु जी बातों को सुनने के बाद उसी क्षण आदिशक्ति दुर्गा माता के शरीर से स्वेत रंग का एक भीषण तेज उत्पन्न हुआ जो एक दिव्य नारी के रूप में प्रकट हुआ। यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिनके एक हाथ में वीणा तथा दूसरा हाथ में वर मुद्रा थे । अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। आदिशक्ति श्री दुर्गा के शरीर से उत्पन्न तेज से प्रकट होते ही उन देवी ने वीणा का मधुरनाद किया जिससे संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हो गई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया। पवन चलने से सरसराहट होने लगी। तब सभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली उन देवी को वाणी की अधिष्ठात्री देवी "सरस्वती" कहा।


फिर 👉आदिशक्ति जगत की जननी मां दुर्गा ने ब्रम्हा जी से कहा कि मेरे तेज से उत्पन्न हुई ये देवी सरस्वती आपकी अर्धांगिनी बनेंगी, जैसे लक्ष्मी श्री विष्णु की शक्ति हैं, पार्वती महादेव शिव की शक्ति हैं उसी प्रकार ये सरस्वती देवी ही आपकी शक्ति बनेगी। ऐसा कह कर आदिशक्ति जगत जननी मां दुर्गा सब देवताओं के देखते - देखते वहीं अदृश्य हो गयीं। इसके बाद सभी देवता सृष्टि के संचालन में संलग्न हो गए।


मां सरस्वती देवी को कई नाम से पूजा की जाती है सरस्वती को वागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी । ये विद्या और बुद्धि प्रदाता हैं। इस संसार में संगीत की उत्पत्ति देवी सरस्वती मां ने ही किए । बसन्त पंचमी के दिन को मां देवी सरस्वती की प्रकटोत्सव के रूप में भी लोग मनाते हैं। यह भी ऋग्वेद में भगवती सरस्वती का वर्णन उल्लेख है ।


प्रणो देवी सरस्वती वाजेभिर्वजिनीवती धीनामणित्रयवतु।


अर्थात मनुष्य के लिए ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, ज्ञान तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हमारे भीतर जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी पूजा की जाएगी और तभी से इस वरदान के फलस्वरूप भारत देश में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है। 


मां सरस्वती देवी की पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान एवं विद्या प्राप्त होती हैं जिसे मां सरस्वती प्रसन्न होकर अपने भक्तों के कृपा प्रदान करते है । मां की कृपा प्राप्त के लिए हर भक्तों को मां सरस्वती का पूजा करनी चाहिए ।

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