भगवान श्री कृष्ण को बचपन से बाल गोपाल नाम से जाना जाता था और उन्हीं के साथ राधा भी खेल कूद कर के बढ़े हुए थे । राधा भगवान श्री कृष्ण के सबसे करीब थे जहां उनके बात सुनकर बांसुरि बजाते थे। राधा कृष्ण के प्रेम आज भी लोगों के दिल में जिंदा है दोनों में इतना प्रेम होने के बावजूद राधा कृष्ण की मिलन नहीं हुई । विवाह नहीं हुआ । वह कौन सा प्रेम था जो आज तक भगवान श्री कृष्ण के पहले राधे माता की नाम लिया जाता है ।.
इस कथा को आपके सामने बोलने का मतलब केवल प्यार में बिछड़ जानें वाले जो लोग गलत कदम उठाते हैं आज उन्हीं लोगों के लिए। दरअसल हिंदू धर्म में भी राधे-श्याम या राधे-कृष्ण ... ये शब्द अटूट प्रेम का हिस्सा माने जाते हैं। भले ही ये एक दूसरे के कभी मिलन नहीं सके लेकिन फिर भी इनका एक दूसरे के साथ ही हमेशा नाम लिया जाता है।
तो चलिए जानते हैं इसका कारण क्या है राधा-कृष्ण की ये प्रेम कहानी अधूरी कैसे रह गई थी?
एक ओर जहां कुछ लोग राधा सिर्फ काल्पनिक मानते हैं, इसका कारण ये है कि भागवत जिसने भी पढ़ी है उसका कहना है कि सिर्फ दशम स्कंद में ही जब महारास का वर्णन हो रहा है वहीं एक जगह राधा के विषय में उल्लेख किया गया है कि राधा भी रास कर रही हैं और आनंद ले रही हैं। जबकि अलग-अलग ग्रंथों में राधा और कृष्ण की गोपियों का अलग वर्णन है किया गया है । दूसरे ग्रंथ में लिखा है कि कृष्ण की 64 कलाएं ही गोपियां थीं और राधा उनकी महाशक्ति यानि राधा और गोपियां कृष्ण की ही शक्तियां थीं, जिन्होंने अर्धांगिनी के रूप ले लिया था।
कुछ धार्मिक जानकारी के अनुसार गोपियों को ही भक्ति मार्ग का परमहंस (जिसके दिमाग में दिन रात भगवान श्री कृष्ण के नाम जप किया करता था) राधा और कृष्ण के प्रेम का असली वर्णन मिलता है गर्ग संहिता में, जा गर्ग संहिता के रचयिता यदुवंशियों हैं (कंस) के कुलगुरु थे( जो एक तरह से प्रभु कृष्ण के भी कुलगुरु हुए) ऋषि गर्गा मुनि थे।
धर्म जानकारी के अनुसार गर्ग संहिता में राधा और कृष्ण की लीलाओं के विषय में उल्लेख किया गया है। इस संहिता में मधुर श्रीकृष्णलीला है। जहां राधा-कृष्ण के प्रेम के विषय में बताया गया है। वहीं इसमें राधाजी की माधुर्य-भाव वाली लीलाओं का भी वर्णन है। गर्ग-संहिता में श्रीमद्भगवद्गीता में जो कुछ सूत्ररूप से कहा गया है उसी का बखान किया गया है।
राधा से किया प्रेम परंतु रुक्मणी से क्योंकि शादी ?
कहा जाता है कि भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण राधा से ये वादा करके गए थे कि वो वापस आएंगे, लेकिन कृष्ण राधा के पास वापस नहीं आए और चले गए। उनकी शादी भी माता लक्ष्मी के रूप रुकमणी से हुई। कहा जाता है कि रुकमणी ने कभी कृष्ण को देखा नहीं था फिर भी उन्हें अपना पति मानती थीं। जब रुकमणी के भाई रुकमी ने उनकी शादी किसी और से करवाना चाहते थे तो रुकमणी ने कृष्ण को याद किया और कहा कि अगर वो नहीं आएंगे तो वो अपनी जान दे देगी। इसके बाद ही कृष्ण रुकमणी के पास गए और उनसे विवाह कर ली। भगवान श्री कृष्ण के कहना है की शादी उनसे किया जाता है जो शरीर से अलग हो विवाह करने के बाद दोनों का शरीर एक हो जाता है जिसे कहा जाता है अर्धांगिनी ।
राधा ने कृष्ण से क्या कहा था?
कृष्ण के वृंदावन छोड़ने के बाद से ही राधा का वर्णन बहुत कम हो गया। राधा और कृष्ण जब आखिरी बार मिले थे तो राधा ने कृष्ण से कहा था कि भले आप हमसे दूर हो रही हो , लेकिन मन में आप ही रहोगे हमेशा. इतना सुनने के बाद भगवान कृष्ण मथुरा चले गए । कंस और बाकी राक्षसों को मारने के बाद इधर का काम संपन्न किया। इसके बाद प्रजा की रक्षा के लिए कृष्ण द्वारका चले गए और द्वारकाधीश बने यानी राजा।
वहीं जब कृष्ण वृंदावन से निकल गए तब राधा की जिंदगी अलग ही मोड़ ले लिया था। कहते हैं कि राधा की शादी एक यादव से की थी। राधा ने अपने दांपत्य जीवन की सारी रस्में निभाईं और बूढ़ी हुईं,फिर भी उनका मन भगवान कृष्ण के लिए समर्पित था। आखरी जीवन में राधा मैया ने भगवान श्री कृष्णा की बांसुरी सुनकर अपना प्राण त्याग दिया यानी अंतर्धान हो गया ।
भगवान श्री कृष्णा के बचपन से ही बहु संख्या में सखी एवं शाखा गन मतलब मित्रों हुआ करते थे । बाल गोपाल बचपन से ही चमत्कार दिखाने लगे असहाय को सहारा देने लगे और तो और किसी भी प्रकार के कोई भी दुविधा हो जाए उसे क्षण भर में दूर कर देते थे । जिसके कारण बाल गोपाल को आम इंसान कभी नहीं माना जाता था । भगवान श्री कृष्ण ने बचपन से लेकर मृत्यु तक जो कार्य किया है यह आम इंसान के वश में नहीं थी जिसके कारण उन्हें भगवान माना गया है । और तो और उनके साथिया इतनी थी की सभी कोई उनके प्रेम से बंधे हुए थे ।
अब बात करते हैं राधा से प्रेम किया विवाह क्यों नहीं किया
इसका यह कारण है कि क्या किसी के साथ प्रेम करने से विवाह करना अनिवार्य है नहीं प्रेम वह होता है जिसका कोई परिभाषा नहीं होती । और प्रेम तो अमर है प्रेम का कभी मृत्यु नहीं होता । जो व्यक्ति तन मन से प्रेम करते हैं उन्हें विवाह करने की क्या आवश्यकता है वो तो सदैव ह्रदय में निवास करता हैं । सच्चा प्यार करने वाले कभी गलत कदम उठाते नहीं । विवाह उनसे किया जाता है जो शरीर से अलग हो परंतु राधा तो शरीर से अलग हुआ ही नहीं वह तो सदैव हृदय में निवास करते थे । भगवान श्री कृष्ण ने सभी को अपने एक ही नजर से देखा है ।
लोगों के मन में यह सवाल जरूर होता होगा कि भगवान श्री कृष्ण ने राधा से शारीरिक संबंध बनाए थे कि नहीं । धर्म शास्त्र के अनुसार बताया गया है कि प्रेम करने से ही शारीरिक संबंध बनाना चाहिए यह गलत बात है । सारिक संबंध उनके साथ बनाना चाहिए जो अपने धर्म पत्नी हो इसके सिवा किसी के साथ ना हो ।
और ठीक वैसे ही भगवान श्री कृष्ण ने अपना धर्म पालन किया जो सभी के साथ प्रेम किया मगर प्रेम वासना नहीं किया।
श्री कृष्ण को सिर्फ राधा ही सिर्फ प्रेम नहीं करते थे बल्कि प्रेम करने वाले और भी एक मित्र थे जिसका नाम सुदामा । उन्होंने भगवान के प्रति इतना श्रद्धा और भक्ति थे कि देखने वाला भी हैरान रह गया । उनका भी चरित्र पढ़ना चाहिए हम सभी को तभी जान पाएंगे कि भगवान को किस तरह भक्त प्रेम करते गया । जिस प्रकार सुदामा ने अपने भक्ति के कारण भगवान श्री कृष्ण को मित्रों बना पाए इसी प्रकार राधा के प्रेम से राधा के नाम से कृष्ण के नाम जोड़ा गया ।
वर्तमान युग में भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र लेकर उटपटांग बातें होते हैं । लेकिन देखा जाए राधा कृष्ण की प्रेम लीला सभी को सुनना चाहिए । इन्होंने जगत के कल्याण के लिए ही प्रेम लीला रचाई थी । राधा कृष्ण की प्रेम लीला जानने के बाद लोगों के मन में गलत भावना दूर जाएगा । राधा कृष्ण की प्रेम लीला सुनने से सभी को सीख मिलेगी उनका प्रेम किस रास्ते पर ले जा रहे हैं सुनना बहुत जरूरी है । इसमें सभी के जीवन सही दिशा ले जाने की प्रेरणा मिलेगा ।