ग्रीन टी से मोटापा कैसे कम करें ? शरीर के वजन काम करना चाहते हैं तो ग्रीन टी इस नियम के अनुसार पीएं ।।
हरी चाय (अंग्रेज़ी: 👉ग्रीन टी) एक प्रकार की चाय होती है, जो कैमेलिया साइनेन्सिस नामक पौधे की पत्तियों से बनायी जाती है। इसके बनाने की प्रक्रिया में ऑक्सीकरण न्यूनतम होता है। इसका उद्गम चीन में हुआ था और आगे चलकर एशिया में जापान से मध्य-पूर्व की कई संस्कृतियों से संबंधित रही। इसके सेवन के काफी लाभ होते हैं। प्रतिदिन कम से कम आठ कप ग्रीन टी हृदय रोग होने की संभावनाओं को कम करने कोलेस्ट्राल को कम करने के साथ ही शरीर के वजन को भी नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध होती है। प्रायः लोग ग्रीन टी के बारे में जानते हैं लेकिन इसकी उचित मात्रा न ले पाने की वजह से उन्हें उनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
हरी चाय का फ्लेवर ताज़गी से भरपूर और हल्का होता है तथा स्वाद सामान्य चाय से अलग होता है। इसकी कुछ किस्में हल्की मिठास लिए होती है, जिसे पसंद के अनुसार दूध और शक्कर के साथ बनाया जा सकता है। ग्रीन टी बनाने के लिए एक प्याले में २-४ ग्राम चाय पड़ती है। पानी को पूरी तरह उबलने के बाद २-३ मिनट के लिए छोड़ देते हैं। प्याले में रखी चाय पर गर्म पानी डालकर फिर तीन मिनट छोड़ दें। इसे कुछ देर और ठंडा होने पर सेवन करें विभिन्न ब्रांड के अनुसार एक दिन में दो से तीन कप ग्रीन टी लाभदायक होती है। यदि आप इससे ज्यादा पीते हैं तो आपके लिए नुकसान भी कर सकते हैं ।
इसका अर्थ है कि एक दिन में ३००-४०० मिलीग्राम ग्रीन टी पर्याप्त होती है शरीर के लिए। अब तक ग्रीन टी का सिर्फ एक ही नुकसान ज्ञात हुआ है, अनिद्रा यानी नींद कम आने की बीमारी। इसका कारण चाय में उपस्थित कैफीन है। हालांकि इसमें कॉफी के मुकाबले कम कैफीन होता है।एक व्यस्क व्यक्ति द्वारा इसका नियमित सेवन कई रोगों से छुटकारा ही नहीं दिलाता बल्कि कई रोगों के प्रति शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाती है। ग्रीन टी एंटी-एजिंग के साथ-साथ एंटी-ऑक्सीडेंट का काम भी करती है। अति व्यस्तता के कारण नियमित व्यायाम न कर पाने वाले लोगों के लिये उन्हें ग्रीन टी का नियमित सेवन करना काफी लाभदायक सिद्ध होता है। इसमें दूध नहीं मिलाना चाहिए क्योंकि इससे उसकी एंटी-आक्सीडेंट तत्व समाप्त हो जाती है। यह चाय कालेस्ट्रोल को भी नियत्रित करने में सहायक होती है। इसका प्रयोग शरीर में उपापचय दर या वसा ऑक्सीकरण को भी बढ़ाता है। इसके सेवन से मस्तिष्क के उत्तकों को मृत होने से रोका जा सकता है। ग्रीन टी को भाप पर बनाना चाहिए।
ग्रीन टी पीने से यह अनगिनत फायदे
ग्रीन टी के नियमित सेवन से न सिर्फ वजन नियंत्रित होता है, बल्कि उनमें कई तरह की बीमारियों के होने की संभावना भी कम हो जाती है। इसके सेवन से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचा जा सकता है। जापान में आमतौर पर लोग खाने के दौरान भी ग्रीन टी का सेवन करते हैं जो खाना पचाने में तो मदद करती ही है और हृदय रोग से भी सहायक सिद्ध होती है।
अध्ययनों के अनुसार दांतों के लिए भी ग्रीन-टी काफी लाभदायक है। जीवाणु, विषाणु और गले के संक्रमण से भी यह बचाव करती है। ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स होते हैं, जो दांतों को केविटी से बचाते हैं। इसके अलावा कैंसर से बचाव, ब्लैडर, कोलन, इसोफेगल, पैनक्रियाज, रेक्टम और पेट के कैंसर से ग्रीन टी काफी बचाव करती है। इसमें उपस्थित तत्व ऐसी कोशिकाओं को कम या न के बराबर पनपने देते हैं। इससे खून के थक्के जमने की समस्या भी कम होती एंटी इंफ्लेमेटरी होने के कारण इसमें दर्द को कम करने की क्षमता होती है। इसमें उपस्थित कुछ एंटी-ऑक्सीडेंट्स ऑर्थराइटिस के खतरे को कम भी करते हैं।
ग्रीन टी यकृत की दो तरह से सुरक्षा करती है। पहले तो यह लीवर की कोशिकाओं की सुरक्षा करती है और दूसरे प्रतिरोधी प्रणाली को भी मजबूत बनाती है। गर्भावस्था के दौरान यह शरीर को लौह, कैल्शियम और मैग्नेशियम की मात्रा देती है। रात को सोते वक्त और भूख लगने पर कैफीन नहीं पीना चाहिये। रात को पीने से यह भूख बढ़ाता है और नींद में समस्या आती है। जबकि ग्रीन टी रात में भी पी सकते हैं, क्योंकि इसमें सिर्फ कैफीन की मात्रा कम होती है।
ग्रीन टी में एल थिएनिन नामक एमिनो एसिड पाया जाता है, जो तनाव को कम करने में काफी कारगर होता है। ग्रीन टी में मौजूद थिएनिन इसी कोर्टिसोल की मात्रा को संचालित करती है एवं इसे बढ़ने नहीं देती जिसका सीधा असर हमारे तनाव पर होता है और हमें जल्दी तनाव नहीं होता है।
प्रतिदिन सुबह ब्रेकफास्ट करने के बाद एक कप हरी चाय पीने से मोटापा धीरे-धीरे कम हो जाता है । ग्रीन टी पीने से शरीर के चर्बी को गलाने में मदद करते हैं जिससे शरीर हमेशा स्वस्थ रहते हैं ।
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