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नाथूराम गोडसे का परिवार में कौन-कौन है ?
मित्रों नाथूराम गोडसे को कौन नहीं जानते हैं हिंदुस्तान के हर एक नागरिक उनके जीवन के विषय में थोड़ा बहुत तो मालूम होंगे ही मगर क्या आप जानते हैं नाथूराम गोडसे के नाम कैसे पड़ा ? आइए आज नाथूराम गोडसे के नाम के विषय में बताएंगे और कैसे कब राजनीति में आए थे वह भी जानकारी देंगे ।
नथुराम गोडसे का जन्म १९ मई १९१० को भारत के महाराष्ट्र राज्य में नाशिक के निकट मराठी साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट आफिस में काम करते थे और माता लक्ष्मी गोडसे एक गृहणी थीं। नाथूराम गोडसे के जन्म के बाद उनके माता-पिता नाम दिया था रामचंद्र। इनके माता-पिता की सन्तानों में तीन पुत्रों अल्प आयु में ही मृत्यु हो गयी थी केवल एक पुत्री संतान ही जीवित बची थी। इसलिये इनके माता-पिता ने पुरुष सन्तानों की जीवन पर श्राप समझ कर ईश्वर से प्रार्थना की थी कि यदि अब कोई पुत्र हुआ तो उसका पालन-पोषण पुत्री संतन की तरह करेंगे। इसी मान्यता के कारण बालक रामचन्द्र की नाक बचपन में ही छिदवा दिया गया और मान्यता अनुसार रामचन्द्र को बचपन में अपने नाक में एक नथ भी पहनना पड़ता था इसी के कारण बालक रामचन्द्र को नथुराम के नाम से बुलाया जाने लगा।
ब्राह्मण परिवार में जन्म होने के कारण उन्हें बचपन से ही धार्मिक कार्यों में गहरी रुचि थी। नाथूराम गोडसे के छोटे भाई गोपाल गोडसे मैं कहा कि मेरे दादा बचपन में
👉ध्यानावस्था में ऐसे विचित्र श्लोक बोलते थे जो इन्होंने कभी भी पढ़ें ही नहीं थे। ध्यानावस्था में ये अपने परिवार वालों और उनकी कुलदेवी के मध्य एक सूत्र का कार्य किया करते थे परन्तु यह सब १६ वर्ष तक की उमर तक आते-आते बंद हो गया।
नाथूराम गोडसे जी ने शुरुआत पुणे में ही शिक्षा ली थी परन्तु हाईस्कूल के 👉बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दिए थे तथा उसके बाद कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली। हिंदू धर्म ग्रंथ पुस्तकों में बहुत ही पसंद करने के कारण रामायण, महाभारत, गीता, पुराणों के अतिरिक्त स्वामी विवेकानन्द, स्वामी दयानन्द, बाल गंगाधर तिलक तथा करमचंद गान्धी के साहित्य का इन्होंने गहरा अध्ययन किया था।
जानिए राजनैतिक कब से करने लगे थे ?
अपने राजनैतिक जीवन के शुरुआत दिनों में नाथूराम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में नाम लिखाया था। १९३० में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ योगदान रहा उसके बाद अखिल भारतीय हिन्दू महासभा में चले गये । उसने अग्रणी तथा हिन्दू राष्ट्र नामक दो समाचार-पत्रों का सम्पादन भी किया था। नाथूराम गोडसे मुहम्मद अली 👉जिन्ना की अलगाववादी विचार-धारा से नफरत करते थे और विरोध भी किया करते थे। नाथूराम गोडसे ने पहले तो
👉मोहनदास करमचंद गांधी के कार्यक्रमों का समर्थन किया था परन्तु बाद में गान्धी के द्वारा लगातार और बार-बार हिन्दुओं के विरुद्ध भेदभाव पूर्ण नीति अपनाये जाने तथा मुस्लिम तुष्टीकरण किये जाने के कारण वे गान्धी के प्रबल विरोधी हो गये कई बार उन्हें सही रास्ते पर जाने की अनुरोध भी किया मगर गांधी ने नाथूराम जी की बात नहीं सुने ।
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