कृष्ण पूजा विधि
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र
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कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र कैसे करें जानिए विस्तार से
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मंत्र भक्ति और श्रद्धा के साथ संपन्न करना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । धर्म ग्रंथ के अनुसार भगवान विष्णु का 8 अवतार है भगवान श्री कृष्ण । कंस मथुरा के राजा थे जिन्होंने अपने ही बहन और बहनोई को कारागार में डाल दिया था उन्हें इसलिए कारागार में डाला था ताकि उसका मौत ना हो सके । आकाशवाणी से राजा कंस को समाचार मिल गया था क्योंकि उन्होंने जानबूझकर इतना पाप कर चुके थे कि पापों की घड़ा भर गया था इसलिए उन्हें आकाशवाणी से ही समाचार दे दिया गया था आने वाले समय में अपनी बहन की संतान उनका मौत का कारण बनेंगे । इसलिए अपने बहन को कारागार में डाल दिया था । राजा कंस ने अपनी बहन को कारागार में डालने के बाद भी उसका अत्याचार कम नहीं हुआ जब अपनी बहन की संतान जन्म लेते थे तब संतान को राजा कंस ने अपने हाथों से मौत देते थे । लेकिन फिर भी राजा कंस की बहन देवकी की कोख में ही भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया मगर भगवान कृष्ण को कंस ने मार नहीं सके । भगवान की लीला समझना इतना सरल नहीं है भगवान की लीला समझने के लिए उनकी कथा पढ़ना बहुत जरूरी है ,उनकी पूजा आराधना करना बहुत जरूरी है । राजा कंस ने भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए कोई कसर नहीं छोरे राजा कंस ने तो पहले ही अपना पापों की घड़ा भर चुका था लेकिन भगवान श्री कृष्ण को मारने के लिए जो पाप किए इसका तो दंड मिलना ही था । भगवान श्री कृष्ण पापों को विनाश करने हेतु इस धरती पर माता देवकी के कोख में जन्म लिया था । भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत रचाया था । धर्म का विस्तार और अधर्म का नाश करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अवतार लिया था । प्रत्येक मनुष्य को भगवान श्री कृष्ण की कथा सुननी चाहिए इससे उनके जीवन में नकारात्मक प्रभाव हमेशा दूर रहेंगे और तो और हमेशा अपना मार्ग सही दिशा पर रहेंगे कभी भी रास्ता नहीं भटकेंगे ।
यदि आप भी अपने जीवन की रास्ता सही मार्ग पर हमेशा रखना चाहते हैं तो भगवान कृष्ण की पूजा आराधना इस विधि पर अवश्य करें ।
शुद्धि मंत्र:
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।। जल को स्वयं पर और पूजन सामग्री पर छींटे लगाकर पवित्र करें।
हाथ में फूल लेकर श्रीकृष्ण का ध्यान करें :
वसुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।। हे वसुदेव के पुत्र कंस और चाणूर का अंत करने वाले, देवकी को आनंदित करने वाले और जगत में पूजनीय आपको नमस्कार है।
संकल्प मंत्र :
‘यथोपलब्ध पूजन सामग्रीभिः कार्य सिध्यर्थं कलाधिष्ठित देवता सहित, श्री जन्माष्टमी पूजन महं करिष्ये।
हाथ में जल, अक्षत, फूल या केवल जल लेकर भी यह संकल्प मंत्र बोलें, क्योंकि बिना संकल्प किए पूजन का फल नहीं मिलता है।
भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बैठाई और आपको सबसे पहले हाथ में तिल जौ लेकर मूर्ति में भगवान का आवाहन करना चाहिए,
आवाहन मंत्र-
अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्। स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।। तिल जौ को भगवान की प्रतिमा पर छोड़ें।
आसन मंत्र :
अर्घा में जल लेकर बोले- रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्वासौख्यकरं शुभम्। आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वर।। जल छोड़ें।
भगवान को अर्घ्य दें :
अर्घा में जल लेकर बोलें- अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह। करुणां करु मे देव! गृहाणार्घ्यं नमोस्तु ते।। जल छोड़ें।
आचमन मंत्र :
अर्घा में जल और गंध मिलाकर बोलें- सर्वतीर्थसमायुक्तं सुगन्धं निर्मलं जलम्। आचम्यतां मया दत्तं गृहत्वा परमेश्वर।। जल छोड़ें।
स्नान मंत्र :
अर्घा में जल लेकर बोले- गंगा, सरस्वती, रेवा, पयोष्णी, नर्मदा जलैः। स्नापिता असि मया देव तथा शांति कुरुष्व मे।। जल छोड़ें।
पंचामृत स्नान :
अर्घा में गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद मिलाकर भगवान श्रीकृष्ण को यह मंत्र बोलते हुए पंचामृत स्नान कराएं- पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु। शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान को स्नान कराएं।
अर्घा में जल लेकर भगवान को फिर से एक बार शुद्धि स्नान कराएं।
भगवान श्रीकृष्ण को वस्त्र अर्पित करने का मंत्र :
हाथ में पीले वस्त्र लेकर यह मंत्र बोलें- शीतवातोष्णसन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। देहालअंगकरणं वस्त्रमतः शान्तिं प्रयच्छ मे। भगवान को वस्त्र अर्पित करें।
यज्ञोपवीत अर्पित करने का मंत्र:
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्। आयुष्मयग्यं प्रतिमुन्ज शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः।। इस मंत्र को बोलकर भगवान को यज्ञोपवीत अर्पित करें।
चंदन लगाने का मंत्र:
फूल में चंदन लगार मंत्र बोलें- श्रीखंड चंदनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चंदनं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान श्रीकृष्ण को चंदन लगाएं।
भगवान को फूल चढाएंः
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो। मयाआहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम्।। भगवान को फूल अर्पित करने के बाद माला पहनाएं।
भगवान को दूर्वा चढाएंः
हाथ में दूर्वा लेकर मंत्र बोलें – दूर्वांकुरान् सुहरितानमृतान्मंगलप्रदान्। आनीतांस्तव पूजार्थं गृहाण परमेश्वर।।
भगवान को नैवेद्य भेंट करें
इदं नाना विधि नैवेद्याने ओम नमो भगवते वासुदेवाय, देवकीसुतं समर्पयामि।
भगवान को आचमन कराएंः
इदं आचमनम् ओम नमो भगवते वासुदेवाय, देवकीसुतं समर्पयामि।
इसके बाद भगवान को पान सुपारी अर्पित करके प्रदक्षिणा करें और यह मंत्र बोलें- यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणपदे-पदे।
अपने मन में जो भी इच्छा है भगवान कृष्ण को स्मरण करके बोलें । इस विधि से भगवान श्री कृष्ण जल्द प्रसन्न हो जाएंगे आप पर सदैव कृपा दृष्टि बनाए रखेंगे । बस भक्ति और श्रद्धा के साथ आप पूजा संपन्न करें ।