फिरोज गांधी कैसे बने ? असली परिचय क्या है? सच्चाई जानिए

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फिरोज गांधी कैसे बने ?

फिरोज गांधी का असली नाम क्या था विस्तार से जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । दोस्तों यह पोस्ट सिर्फ आपके लिए ही लिखा गया है, क्योंकि आप जानना चाहते हैं फिरोज का असली नाम क्या है और वैसे भी हमारे वेबसाइट में कई प्रकार के जानकारियां दिया जाता है । भारत का कुछ इतिहास हैं जहां छुपाया गया है, और जो सच्चाई है,जहां छुपाया गया है वही इतिहास हम लोग ढूंढ ढूंढ कर सबके सामने लेकर आते हैं । आज मैं आपको वह इतिहास बताने वाले हैं जो सच्चाई को छुपाया गया है । आज से नहीं जब से हमारे भारत आजाद हुआ है तब से लेकर आज तक कुछ लोग सत्ता का लालच में खुद को विसर्जन दे दिया है । सत्ता का लालच में जनता को इतना बेवकूफ बनाया है कि आप अगर सो चोगे तो आपका खून खौल उठेगा । तो चलिए ज्यादा देर ना करके आज हम आपको बताने वाले हैं फिरोज खान का असली नाम क्या था ।


फिरोज़ गांधी का जन्म मुम्बई में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जहांगीर खान एवं माता का नाम रतिमाई थी , और वे बम्बई के खेतवाड़ी मोहल्ले के नौरोजी नाटकवाला भवन में रहते थे। फ़िरोज़ के पिता जहांगीर किलिक निक्सन में एक इंजीनियर थे, जिन्हें बाद में वारंट इंजीनियर के रूप में पदोन्नत किया गया था । उनके पांच बच्चों में सबसे छोटे थे; उनके दो भाई दोराब और फरीदुन जहांगीर,और दो बहनें, तेहमिना करशश और आलू दस्तुर थी। फ़िरोज़ का परिवार मूल रूप से दक्षिण गुजरात के भरूच का निवासी है, जहां उनका पैतृक गृह अभी भी कोटपारीवाड़ में उपस्थित है।



१९२० के दशक की शुरुआत में अपने पिता की मृत्यु के बाद, फिरोज अपनी मां के साथ इलाहाबाद में उनकी अविवाहित मौसी, शिरिन कमिसारीट के पास रहने चले गए, जो शहर के लेडी डफरीन अस्पताल में एक सर्जन थी। इलाहबाद में ही फ़िरोज़ ने विद्या मंदिर हाई स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, और फिर ईविंग क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

फिरोज गांधी का असली नाम क्या था ?



इंदिरा ने अपने पिता जवाहरलाल नेहरू की मर्जी के खिलाफ फिरोज खान से शादी की थी. दोनों की लवस्टोरी बहुत चर्चित रही. कहते हैं कि दोनों की मुलाकात 1930 में हुई थी. आजादी की लड़ाई में इंदिरा की मां कमला नेहरू एक कॉलेज के सामने धरना देने के दौरान बेहोश हो गई थीं. उस समय फिरोज खान ने उनकी बहुत देखभाल की थी. कमला नेहरू का हालचाल जानने के लिए फिरोज अक्सर उनके घर जाते थे. इसी दौरान उनके और इंदिरा गांधी के बीच नजदीकियां बढ़ीं. प्रेम में बदल गई थी आखिर फिरोज जब इलाहाबाद में रहने लगे उस दौरान वो आनंद भवन जाते रहते थे.




फिरोज से इंदिरा की शादी 1942 में हुई. लेकिन जवाहर लाल नेहरू इस शादी के खिलाफ थे. हालांकि महात्मा गांधी के इन दोनों को बहुत मदद की थी और उसी समय हस्तक्षेप के बाद दोनों के सरनेम अपना सरनेम से बदल करवाया यह घटना इलाहाबाद में हुई । फिर फिरोज खान  को अपने धर्म को परिवर्तन करवाया  उस वक्त  महात्मा गांधी  जो कह देते थे वही भारत के अधिकांश लोग महात्मा गांधी के बात मानते थे परंतु कोई धर्म के अनुसार फिरोज खान की  धर्म परिवर्तन नहीं हुई थी । भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इंदिरा और फिरोज साथ में जेल भी गए. हालांकि शादी के बाद दोनों के बीच काफी लड़ाइयां हुईं.


1949 में इंदिरा दोनों बच्चों पैदा किया था (राजीव और संजय गांधी) के साथ अपने पिता का घर संभालने के लिए फिरोज को छोड़कर चली गईं जबकि संजय लखनऊ में ही रहे. यहीं से फिरोज ने नेहरू सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया और कई बड़े घोटालों को उजागर किया. बाद के सालों में फिरोज गांधी की तबीयत खराब होने लगी. उस दौरान उनकी देखभाल के लिए इंदिरा गांधी मौजूद थीं.फिर अचानक 8 सितंबर, 1960 को हृदयाघात से फिरोज गांधी का निधन हो गया था।


फिरोज गांधी का असली नाम क्या था ? जानिए सच्चाई 



दोस्तों अब आगे बात करते हैं हमारे समाज में क्या होता है । जब भी किसी की बेटी या बहन की शादी हो जाती है तो उनका सरने मबदल जाता है क्योंकि वह जिससे शादी किया है अब उनके बिरादरी में हो गया है । इंदिरा गांधी के साथ भी से ऐसे ही होने वाला था मगर महात्मा गांधी ने बड़ी चालाकी किया । क्योंकि इंदिरा गांधी फिरोज खान के साथ जब शादी किया तब सत्ता में बैठने वाले लोगों के लिए बड़ी तकलीफ होने वाले थे । इसलिए महात्मा गांधी ने अपना सरनेम दोनों को दे दिया यानी महात्मा गांधी यह दोनों को अपना बेटा समझ कर गोद ले लिया । जिससे दोनों का सरनेम बदल दिया गया है। अब बात करते हैं फिरोज खान तो गांधी बन गया लेकिन उन्हें बचपन से कौन से नाम से पुकारा जाता था क्या इसका एक ही नाम है या फिर दूसरा और कोई नाम था ? दोस्तों मीडिया सूत्र के अनुसार फिरोज खान के बचपन से लेकर मृत्यु तक उनका एक ही नाम से ही जाना जाता था (फिरोज) क्योंकि खुद फिरोज खान एक मीडिया रिपोर्टर थे ।


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