हरसिंगर पत्ते के यह हैं जबरदस्त फायदे अधिकांश लोगों को नहीं पता ।
इस महान औषधि पेड़ का नाम संस्कृत में पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , बहुत से लोग हरसिंगार नाम से भी जानते हैं । उस पेड़ पर हर साल छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फूल की डंडी लाल रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है। हारसिंहार ठण्डा और रूखा होता है। मगर कोई-कोई पेड़ नरम होता है।
पारिजात वृक्ष को लेकर गहन अध्ययन कर चुके रूड़की के कुंवर हरिसिंह के अनुसार यूँ तो परिजात वृक्ष की प्रजाति भारत में कोई कोई इलाके में कम मात्रा में दिखाई देता है । लेकिन भारत में एक मात्र पारिजात वृक्ष आज भी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के अंतर्गत रामनगर क्षेत्र के गाँव बोरोलिया में सबसे अधिक पाए जाते हैं ।
शिवली के पेड़ लगभग 50 से 60 फीट तक लंबी होती है ।
साल में सिर्फ़ एक बार जून माह में सफ़ेद व पीले रंग के फूलों से सुसज्जित होने वाला यह वृक्ष न सिर्फ़ खुशबू बिखेरता है, बल्कि देखने में भी सुन्दर होती है। अनुमानित आयु की दृष्टि से एक हज़ार से पाँच हज़ार वर्ष तक जीवित रहते हैं । इस वृक्ष को वनस्पति शास्त्री एडोसोनिया वर्ग मानते हैं, जिसकी दुनिया भर में सिर्फ़ पाँच प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से एक 'dijahat' है। पारिजात वृक्ष इसी dijahat प्रजाति का है।
शिवली पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस ले और चटनी बनाइये फिर एक ग्लास पानी में इतना गरम कीजिये जहां पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पीना चाहिए ।
इस तरह पीने से बीस-बीस साल पुराना गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
यदि किसी व्यक्ति के घुटनों की चिकनाई (Smoothness) हो गई हो और जोड़ो के दर्द में किसी भी प्रकार की दवा से आराम न मिलता हो तो ऐसे लोग शिवली (पारिजात) पेड़ के 10-12 पत्तों को पीसकर एक गिलास पानी में उबालें-। उसके बाद पानी बिना छाने ही ठंडा करके पीना चाहिए । इस प्रकार लगातार तीन महीना में चिकनाई पूरी तरह वापिस बनेगी। फिर भी कुछ कमी रह जाए तो फिर एक माह का अंतर देकर शुरू करें और फिर 90 दिन तक ऐसी क्रिया करते रहे निश्चित रूप से आपको लाभ मिलेगी ।
शिवली या पारिजात के पत्तों को धीमी आंच पर उबालकर काढ़ा बना लिजिए . इसे साइटिका के रोगी को सेवन कराने से बहुत ही फायदा मिलते है । यह बंद रक्त की नस को खोल देता है यही कारण है की ये साइटिका में रामबाण औषधि है।
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जिस व्यक्ति के सिर पर बाल नहीं है प्रतिदिन हरसिंगार के बीज पानी से मिलाकर पेस्ट बनाना है और फिर पेस्ट। को एक घंटा तक सिर पर लगा के रखना है । ऐसे करने से गंजापन दूर होता है धीरे-धीरे सिर पर बाल उगने लगते हैं।
अगर किसी व्यक्ति के बुखार दवा से ठीक नहीं हो रहे हैं तो शिवली के पत्ते को पीस कर गरम पानी में डाल के पीजिये बुखार ठीक कर देता है । और भी कई बीमारी को ठीक कर देते हैं जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया । हारसिंगार के 7-8 पत्तों का रस, अदरक का रस और शहद मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से पुराने से पुराना मलेरिया बुखार दूर करने में सक्षम है।
पारिजात बवासीर के निदान के लिए चमत्कार औषधी है। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का पेस्ट बनाकर गुदा पर लगाने से बवासीर के मरीज को राहत मिलती है।
7-8 हारसिंगार के पत्तों के रस आर अदरक के रस और थोड़ी शहद मिलाकर सुबह शाम पीने से यकृत और प्लीहा (तिल्ली) की वृद्धि ठीक हो जाती है।
इसके फूल हृदय रोगों के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलों के रस का सेवन किया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है।
शिवली की पत्तियों को पीसकर लगाने से दाद ठीक हो जाता है। दाद के लिए ये बहुत चमत्कारी औषिधि है।
इतना ही नहीं शिवली की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक हो जाती है।
इसी तरह शिवली की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधि रोग ठीक करने में सक्षम है। पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है इसमें बहुत ही लाभ मिलती हैः
शिवली पेड़ की छाल का चूर्ण 1 से 2 रत्ती पान में रखकर प्रतिदिन 3-4 बार खाने से कफ का चिपचिपापन कम होकर श्वास रोग या दमा में लाभकारी होता है।
शिवली की फल को यदि पाँच काली मिर्च के साथ महिलाएँ सेवन करें तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है। वहीं शिवली के बीज जहाँ बालों के लिए syrap का काम करते हैं तो इसकी पत्तियों का जूस से क्रोनिक बुखार को ठीक कर देता है।