नमस्कार मित्रों मैं एक फिर से नया जानकारी लेकर आया हूं आपके सामने जो जानकारी हैं इसे हर किसी को प्राप्त करना चाहिए ताकि हमारे मनुष्य जीवन में कुछ बातें उतरा ना रह जाए इसके लिए मैं आज जो बताने जा रहा हूं शायद आप समझ गए होंगे । हां मित्रों मां की योनि पूजा कहां पर स्थित है किस जगह पर होती हैं यह जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए और इस पोस्ट को पूरा पढ़ें ।
हिंदुस्तान में योनि पूजा के विषय में अधिकांश लोगों को पता नहीं है और वही बात जिनको पता नहीं उसी के लिए यह पोस्ट लिखा हूं ।
माता की मूर्ति पूजा के स्थान हिंदुस्तान में कम नजर आती हैं ना के बराबर आपको असली स्थान तो वहीं मिलेंगे जहां बताने जा रहे हैं ।
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👉असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से ८ किलोमीटर दूर कामाख्या में है। कामाख्या से भी १० किलोमीटर दूर नीलाचल पव॑त पर स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है व इसका महत् तांत्रिक महत्व है।
प्राचीन काल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। पूर्वोत्तर के मुख्य द्वार कहे जाने वाले असम राज्य की राजधानी दिसपुर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीलांचल अथवा नीलशैल पर्वतमालाओं पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के इक्यावन ।
👉शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है। देश भर मे अनेकों सिद्ध स्थान है जहाँ माता सुक्ष्म स्वरूप मे निवास करती है प्रमुख महाशक्तिपीठों मे माता कामाख्या का यह मंदिर सुशोभित है हिंगलाज की भवानी, कांगड़ा की ज्वालामुखी, सहारनपुर की शाकम्भरी देवी, विन्ध्याचल की विन्ध्यावासिनी देवी आदि महान शक्तिपीठ श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र एवं तंत्र- मंत्र, योग-साधना के सिद्ध स्थान है। यहाँ मान्यता है, कि जो भी बाहर से आये भक्तगण जीवन में तीन बार दर्शन कर लेते हैं उनके सांसारिक भव बंधन से मुक्ति मिल जाती है ।
मित्रों यदि आप उस मंदिर में प्रवेश करने मैं इच्छुक हैं तो यह मंत्रों आपके लिए , इसे पढ़कर याद जरूर कर ले ताकि यदि आपको कभी भी उस मंदिर में जाने के लिए मौका मिल जाए तो इस मंत्र का प्रयोग जरूर करें ।
"👉 या देवी सर्व भूतेषू मातृ रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो 🙏नम: ।
देवी मां के सामने इस मंत्रों का जाप करने से मां जल्द प्रसन्न हो जाती हैं और उसे कृपा शीघ्र करती हैं ।
हर भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं जो भी संकट एवं बधाई अपने जीवन पर होती है उसे दूर करने में मां सक्षम आप पर कृपा करेंगे ।
कामाख्या देवी का क्या है रहस्य ?
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👉कामाख्या देवी को 'बहते रक्त की देवी' भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि ये देवी का एकमात्र ऐसा स्वरूप है, जो नियमानुसार प्रतिवर्ष मासिक धर्म के चक्र में आता है. कहा जाता है कि हर साल जून के महीने में मां कामाख्या देवी रजस्वला होती हैं और उनकी योनि से रक्त प्रवाह होता है, साथ ही उनके बहते रक्त से ब्रह्मपुत्र नदी का रंग लाल होने लगता है ।
👉इससे एक चीज़ तो साफ़ है कि मासिक धर्म को लेकर ये छुआ-छूत की धारणा हमारे पूर्वजों की बनाई हुई नहीं है, क्योंकि अगर मासिक धर्म को लेकर अपवित्र सोच हमारे पूर्वजों की होती, तो कामाख्या देवी को 'बहते रक्त की देवी' न कहा जाता यह भी समझना बहुत जरूरी है सब केलिए।
👉तीन दिन के लिए मां को दिया जाता है विश्राम जानिए
देश की कुछ महिलाएं चाह कर भी मासिक धर्म के दौरान आराम नहीं कर पाती, या यूं कहें कि घर और ऑफ़िस के चलते महिलाओं को आराम नसीब ही नहीं होता. वहीं कमाख्या देवी के मंदिर की परंपरा उसके नियम बिल्कुल उल्टा. जहां हर साल जून में रजस्वला के समय तीन दिनों के लिए ये मंदिर बंद कर, मां को विश्राम करने दिया जाता है,। लेकिन मंदिर के आसपास 'अम्बूवाची पर्व' मनाया जाता है. इस पर्व में सैलानियों के साथ तांत्रिक, अघोरी साधु और पुजारी भी मेले में शामिल होने के लिए आते हैं । इस दौरान शक्ति के उपासक, तांत्रिक और साधक नीलांचल पर्वत की अलग-अलग गुफ़ाओं में बैठकर साधना कर👉 सिद्धियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं ।
फिर देर किस बात की है मित्रों जल्दी ही घूम कर आ जाइए अपने टाइम निकाल के और मां की कृपा प्राप्त कर लीजिए ।
मित्रों आज के लिए मैं इतना ही आपको जानकारी दे सका अगले जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहिए और नया नया अपडेट पाइए। यदि हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं तो लाल बटन दबाकर जुड़ सकते हैं । मित्रों आपको इस जानकारी से कैसा लगा कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बताइए आपके कमेंट से हमारे मनोबल और बढ़ेगी धन्यवाद।