रुद्राक्ष की माला जपने का सही नियम क्या है ? कहीं आप गलत तो नहीं कर रहे हैं


रुद्राक्ष की माला जपने के नियम


 रुद्राक्ष की माला जपने के नियम :


रुद्राक्ष की माला जपने का सही नियम अगर आपको पता नहीं होगा तो फायदे से ज्यादा नुकसान होगा दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत हो अगर आप हमारे वेबसाइट में नए मेंबर हैं तो फॉलो कर लीजिए क्योंकि इसी प्रकार जानकारी हमारे वेबसाइट में अपडेट होते रहता है तो आपके पास पहले नोटिफिकेशन पहुंचेंगे । तो दोस्तों अब बात करते हैं अगर आपको रुद्राक्ष की माला जपने का सही नियम पता नहीं है तो फिर आपके लिए यह पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं  । माला जपने का अर्थ यह है कि आप सीधे परमात्मा से संपर्क करना चाहते हैं यानी आप जिस देवता से संपर्क करना चाहते हैं यही एक सरल उपाय है जो माला जपने के बाद आपको मार्ग मिल जाता है । दोस्तों माला तो कई प्रकार के होते हैं मगर रुद्राक्ष की माला का प्रभाव कुछ अलग प्रकार के हैंइस माल का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा क्षण भर में समाप्त हो जाते हैं और तो और सकारात्मक ऊर्जा के वजह से आपके शरीर शुद्ध हो जाते हैं मन में बुद्धि तीव्र हो जाते हैं उसके बाद कई प्रकार के शरीर से बीमारी भी दूर हो जाते हैं । 


माला जपने के फायदे :

रुद्राक्ष की माला देवों के देव महादेव ही धारण करते हैं रुद्राक्ष की माला कोई साधारण नहीं है । रुद्राक्ष की माला जप करने से व्यक्ति आने वाले समय में यानी भूत भविष्य सब कुछ जान सकते हैं इस माला का जाप से सामने वाले व्यक्ति को भी मोहित कर सकते हैं । दोस्तों एक मुखी रुद्राक्ष की माला अगर कोई व्यक्ति पहन लेते हैं तो उस व्यक्ति का कोई भी संकट सिर्फ एक मुखी रुद्रांशी ही हर लेते हैं मतलब उस व्यक्ति का संकट कितना भी होने पर भी भी एक मुखी रुद्राक्ष ही रक्षा करते हैं । 



मित्रों आज हम कुछ विशेष महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे अधिकांश मंत्र जाप के लिए अर्थात सभी मत्रों के जाप के लिए हम रुद्राक्ष की माला या तुलसी की माला या चंदन की माला का अधिक प्रयोग करते हैं । मत्रों सभी मूल्यांकन के लिए अर्थात सभी राशियों के लिए आप लोग रुद्राक्ष की माला का उपयोग कर सकते हैं यह देखते हैं रुद्राक्ष की माला से हम किस प्रकार जाप करना चाहिए ।



रुद्राक्ष की माला जपने का सही नियम क्या है ?


 सबसे पहले रुद्राक्ष की माला को गंगाजल कच्चे दूध से पवित्र कर लेना चाहिए आप देख रहे होंगे इसमें सबसे ऊपर जो लाल धागा बांधा हुआ है उसे सुमेर पर्वत कहा जाता है । तो किसी भी माला को यहां से ही प्रारंभ किया जाता है किसी भी माला का जाप करते समय अपनी तर्जनी उंगली तथा कनिष्ठ का उंगली सबसे छोटी उंगली को अलग करके रखना चाहिए । क्योंकि यह तर्जनी उंगली गुरु की उंगली है जो हमारी रक्षा करती है हमें आशीर्वाद के रूप में इसे हम बाहर रखते हैं इससे कोई भी कार्य नहीं करते हैं । मत्रों सबसे पहले माला को शुद्ध करके सुमेर पर्वत को पाड़कर आप अपने नेत्रों से लगाएगी इसके पश्चात तर्जनी उंगली को छोड़कर आप इन दो उंगली माध्यम अनामिका के बीच माला को पकड़ने इस प्रकार से और अपने अंगूठे की सहायता से एक-एक मनके को खिसकते जाएंगे और मंत्र का जाप करते जाएंगे जैसे हम कोई भी मंत्र लेकर आपको जा करके बताते सुमेर पर्वत के बाद आप अंगूठे की सहायता से दो उंगली पर माला को किसकायेगें माला जमीन में स्पर्श नहीं होनी चाहिए । और इस मंत्र का जाप करें ओम ओमओम ओम ओम ओम ओम ओम ओम ओम इस प्रकार हम एक-एक मन के साथ जाप करते जाएंगे अंत में धीरे-धीरे संपूर्ण माला का जाप होने के पश्चात आप इसके सुमेर पर्वत को पार नहीं करेंगे जैसे ही आप यहां पहुंचेंगे आपका जब 108 बार हो चूकेगा । आप इसे यहां से इस प्रकार से घुमा देंगे फिर दूसरी माला प्रारंभ हो जाएगी ओम ओम ओम ओम ओम इसी प्रकार आप दूसरी माला का भी जब पूर्ण रूप से कर लेंगे ।


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