कबीर दास की 121 दोहे pdf मुफ्त में डाउनलोड करें

bholanath biswas
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कबीर के दोहे pdf

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कबीर के दोहे pdf मुफ्त में कैसे करें डाउनलोड


कबीर के दोहे pdf मुफ्त में डाउनलोड करने के लिए हमारे साथ बने रहें दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है जब आप कबीर के दोहे पीडीएफ के माध्यम से डाउनलोड करना चाहते हैं तो आशा करते हैं हमारे यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं । दोस्तों कई बार ऐसा होता है कि कबीर दास के दोहे पीडीएफ के माध्यम से डाउनलोड करने के लिए कोशिश करते हैं परंतु इधर उधर हम भटक जाते हैं , आज हम आपको ऐसे यूनिक साइड बताने जा रहे हैं जहां आप बड़ी आसानी से अपने मोबाइल पर कबीर दास के दोहे pdf के माध्यम से हमेशा के लिए रख सकते हैं । कहा जाता है कि कबीर दास के दोहे में वह बातें वर्णन किया है जहां मनुष्य के जीवन जीने की सरल रास्ता दिखाते हैं कबीर दास के एक नहीं हजारों दोहे हैं जहां उनमें सब का अर्थ अलग-अलग है । कबीर दास के दोहे आप तभी समझ सकते हैं जब अर्थ सहित हो, अगर कबीर दास के दोहे अर्थ सहित आपको मिलेंगे तो आप आसानी से जो भी दोहे में वर्णन किया है समझ सकते हैं । दोस्तों कबीर दास के कुछ दोहे अपनेर्ट खेल के माध्यम में लिखा गया है हमें आशा है कि आप को पसंद जरूर आएंगे ।


1- दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे, दुख कहे को होय।।


बुरा जो देख मैं चला गया, बुरा न मिलिया कोय।

जो मन ढूंढता है अपना, तो मेरा बुरा न कोय।।


कबीरा बाजार में, मंगे सबकी खैर।

ना कहु से दोस्ती, ना कहु से बैर।।


जो तुम तोड़ो पैंजन, मैं बैठा पैंजन होय।

कहो कबीरा तुम तोड़ो, मैं तोड़ूं यह होय।।


चिंता ऐसी डाकिनी काटि, करेजा का पास।

जैसे सरसों तेल में, तैल तिनका आस।।

जो टूटा तो नहीं है, तो क्यों जात है जाय।

पाँव बिछाये कबहूँ नहीं, तो आगे कैसे जाय॥

अनुवाद: यदि आप टूटे नहीं हैं, तो आप भगवान के नाम का जप क्यों करते हैं? नींव ही नहीं रखी तो आगे कैसे बढ़ेंगे?

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।

आपस में प्यार का, पढ़े-लिखे सो पंडित होय।।

अनुवाद: पुस्तकें पढ़ते-पढ़ते संसार नष्ट हो गया, फिर भी कोई ज्ञानी नहीं हुआ। ज्ञानी वही हुए हैं जिन्होंने प्रेम के पत्र पढ़े हैं।

दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे, दुःख कहे को होय।।

हिन्दी अनुवाद: दु:ख में तो सब याद करते हैं, सुख में कोई नहीं करता। जो सुख में भगवान को याद करते हैं, उन्हें कभी दु:ख का सामना क्यों करना पड़ेगा?


पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।

आपस में प्यार का, पढ़े-लिखे सो पंडित होय।।

अनुवाद: पुस्तकें पढ़कर संसार नष्ट हो गया है, और कोई भी बुद्धिमान नहीं हुआ है। जिसने प्रेम का अर्थ जान लिया है, वही विद्वान कहलाएगा।


"पोथी पढ़ा पढ़ा जग मुआ, पंडित भया न कोय।

आपस में प्यार का, पढ़े-लिखे सो पंडित होय।।

अनुवाद: "दुनिया किताबें पढ़कर मर गई, कोई विद्वान नहीं हुआ।

जिसने प्रेम के सार को समझ लिया है वही विद्वान हो गया है।"


"दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।

जो सुख में सुमिरन करे, दुख कहे को होय।।"

अनुवाद: "दुख के समय भगवान को सभी याद करते हैं, लेकिन आनंद के समय कोई नहीं। जो सुख में भगवान को याद करता है, उसे कभी दुख नहीं होता।"


वर्तमान कलियुग है, और इस युग में लोग पाप अधिक कर रहे हैं गलत चीज को देख कर भी अनदेखा कर रहे हैं । आज हम आपको कुछ उदाहरण दे रहे हैं । अगर आप अपने स्वार्थ के लिए किसी को पैसा दे रहे हैं तो यह भी पाप है । जैसे कि कुछ काम निपटने के लिए आप किसी को पैसा देते हैं यानी रिश्वत देते हैं रिश्वत देने वाला भी पाप करते हैं और रिश्वत लेने वाले भी पाप करते हैं । शायद इस बात पर बहुत कम लोगों को पता है मगर जो रिश्वत लेते हैं उन्हें तो जरूर पता है मगर जो लोग रिश्वत देते हैं वह लोग इतना तक नहीं जानते हैं कि रिश्वत देना भी गुनाह होते हैं । बूढ़े बुजुर्ग लोगों को देखकर हंसना या उन्हें देखकर मजाक उड़ाना यह भी बहुत बड़ा पाप होते हैं , पिता माता को अगर आप सेवा नहीं कर सकते हैं तो उन्हें दंड भी नहीं दे सकते हैं । वर्तमान बहुत ऐसे परिवार में हैं जो अपने माता पिता को सेवा तो करते नहीं है मगर उन्हें भेज देते हैं विद्याश्रम ऐसे करने से आप संतन होने के नाते बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं । मनुष्य को जन्म लेने का उद्देश्य क्या है क्या आप वास्तव में जानते हैं ? अगर नहीं जानते हैं तो नीचे लिंक दिया गया है आप कबीर दास के दोहे पूरे पढ़ें और पीडीएफ डाउनलोड करें ।


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