क्या सच में गायत्री मंत्र से भूत भागते हैं? जानिए पूरा सच।

 

गायत्री मंत्र भूत भगाने का

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गायत्री मंत्र और 'भूत भगाने' की बात: क्या है इसके पीछे का सच?

अक्सर आपने बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा कि अगर डर लगे या किसी अनहोनी का अहसास हो, तो गायत्री मंत्र का जाप करो। कई लोग तो इसे 'भूत-प्रेत भगाने का मंत्र' भी कहते हैं। जब भी घर में कुछ अजीब महसूस होता है, तो दादी-नानी की पहली सलाह यही होती है, "बेटा, गायत्री मंत्र पढ़ ले, सब ठीक हो जाएगा।"

लेकिन क्या सच में गायत्री मंत्र की शक्ति से भूत भाग जाते हैं? या इसके पीछे कोई और गहरा मतलब है? चलिए, आज इसी बात को थोड़ा समझते हैं, अंधविश्वास से हटकर और विश्वास की नज़र से।

सबसे पहले, गायत्री मंत्र है क्या?

गायत्री मंत्र को वेदों का सबसे शक्तिशाली मंत्र माना गया है। यह सिर्फ एक प्रार्थना नहीं, बल्कि एक दिव्य आह्वान है। इसका सीधा-सा मतलब है:

"ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥"

इसका सरल अर्थ है - "हे प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा! हम आपके उस तेज का ध्यान करते हैं, जो हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करे।"

आप ध्यान देंगे तो पाएंगे कि इस मंत्र में कहीं भी भूत-प्रेत या किसी को भगाने की बात नहीं की गई है। इसमें तो बुद्धि को प्रकाशमान करने और सही रास्ते पर लाने की प्रार्थना है। तो फिर यह 'भूत भगाने' वाली बात कहाँ से आई?

तो फिर कनेक्शन क्या है?

इस कनेक्शन को समझने के लिए हमें 'भूत' शब्द के असली मतलब को समझना होगा।

1. 'भूत' यानी नकारात्मक ऊर्जा

अध्यात्म और विज्ञान, दोनों ही मानते हैं कि हर चीज़ की अपनी एक ऊर्जा (Vibration) होती है। जहाँ सकारात्मकता, खुशी और शांति होती है, वहाँ की ऊर्जा बहुत ऊंची और शक्तिशाली होती है। वहीं दूसरी ओर, जहाँ डर, गुस्सा, नफरत या उदासी होती है, वहाँ की ऊर्जा नकारात्मक और भारी होती है। इसी नकारात्मक ऊर्जा को आम भाषा में लोग 'भूत-प्रेत का साया' कह देते हैं।

गायत्री मंत्र के उच्चारण से जो ध्वनि और कंपन पैदा होता है, उसकी फ्रीक्वेंसी बहुत ज़्यादा होती है। जब आप इस मंत्र का जाप करते हैं, तो आप अपने आस-पास एक शक्तिशाली सकारात्मक ऊर्जा का कवच बना लेते हैं। जैसे एक तेज रोशनी के आते ही अंधेरा अपने आप गायब हो जाता है, ठीक वैसे ही गायत्री मंत्र के सकारात्मक कंपन के सामने नकारात्मक ऊर्जा टिक नहीं पाती। वह या तो बदल जाती है या उस जगह से हट जाती है।

2. 'भूत' यानी हमारे मन का डर

अक्सर जिसे हम भूत-प्रेत समझते हैं, वह असल में हमारे अपने मन का डर, वहम और हमारी दबी हुई चिंताएं होती हैं। जब हम अकेले होते हैं या किसी बात से बहुत ज़्यादा डरे होते हैं, तो हमारा दिमाग हमें तरह-तरह की चीज़ें महसूस कराता है - कभी परछाई दिखती है, तो कभी कोई आवाज़ सुनाई देती है।

जब आप डर की स्थिति में गायत्री मंत्र का जाप करना शुरू करते हैं, तो आपका ध्यान उस डर से हटकर मंत्र के शब्दों और उसके अर्थ पर चला जाता है। यह एक तरह से मेडिटेशन का काम करता है। आपका मन शांत होने लगता है, आपकी साँसें नियंत्रित होती हैं और आपके अंदर हिम्मत आती है। जैसे ही आपके अंदर का आत्मविश्वास जागता है, बाहर का डर अपने आप खत्म हो जाता है। कहावत भी तो है, "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।" गायत्री मंत्र आपको मन से जिताता है।

तो क्या यह अंधविश्वास है?

नहीं, यह अंधविश्वास नहीं है, बल्कि यह विज्ञान और अध्यात्म का संगम है।

  • शाब्दिक अर्थ में: गायत्री मंत्र किसी अदृश्य आत्मा को नहीं भगाता।

  • आध्यात्मिक अर्थ में: यह नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों को दूर करता है।

  • मनोवैज्ञानिक अर्थ में: यह आपके मन के डर, चिंता और वहम को खत्म करके आपको निडर बनाता है।

तो अगली बार जब कोई कहे कि गायत्री मंत्र से भूत भागते हैं, तो आप समझ जाइएगा कि इसका मतलब है कि इस मंत्र की शक्ति से हर तरह की नकारात्मकता - चाहे वो बाहरी हो या भीतरी - भाग जाती है।

यह एक सुरक्षा कवच की तरह है। इसे रोज़ाना जपने से न सिर्फ आपका मन शांत रहता है, बल्कि आपके आस-पास का माहौल भी शुद्ध और सकारात्मक बना रहता है। यह आपको वो आंतरिक शक्ति देता है जिससे आप किसी भी डर का सामना कर सकते हैं। और जब आप अंदर से शक्तिशाली हों, तो कोई 'बाहरी' ताकत आपको परेशान नहीं कर सकती।

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