भगवान राम की मृत्यु कब और कैसे हुई थी ? जानें
भगवान राम की मृत्यु कब हुई और कैसे हुई यह जानने के लिए हमारे साथ बने रहें मित्रों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है ।
हिंदू सनातन धर्म के अधिकांश लोगों को पता नहीं है कि भगवान श्री राम की मृत्यु कैसे हुई थी तो दोस्तों हिंदू सनातन धर्म में जिन्हें भगवान के रूप में पूजा करते हैं उनके विषय में थोड़ा बहुत तो जानकारी होना ही चाहिए आप बिल्कुल चिंता मत करें आपके लिए वह जानकारी लेकर हाजिर हूं जहां आप बड़े प्रसन्नता होंगे ।
तो दोस्तों भगवान श्री कृष्ण ने भागवत गीता में ही उल्लेख किया था कि इस कलयुग में राम नाम जो भी व्यक्ति जाप करेंगे उनके मनोकामना पूरी होगी एवं जितने भी पाप कर्म किए होंगे वह सब सर्वनाश हो जाएंगे यानी उनकी सारे पाप मुक्त हो जाएगी और वह भगवान की भक्त बनेंगे ।
और यह भी उल्लेख किया गया है कि भगवान श्री राम के चरित्र जो भी व्यक्ति सुनेंगे या पड़ेंगे उनका भी कल्याण होगा वह भी पापों से मुक्त रहेगी और कृपा प्राप्त करेंगे । अगर ऐसा है तो भला कौन नहीं चाहेंगे कि भगवान श्री राम की विषय में जानकारी प्राप्त करने ।
ऋषि बाल्मीकि जी ने उल्लेख किया रामायण में की भगवान श्री राम के चरणों जहां भी स्पर्श हुआ उसी जगह संपूर्ण रूप से परिवर्तन हो चुके थे । बहुत ऐसे शैतान, दानव थे जो पापों से मुक्ति पा चुके थे और तो और राक्षसों का भी उद्धार हुआ था ।
बहुत लोगों के मुंह से आप यह भी सुने होंगे कि यदि भाई हो तो लक्ष्मण जैसे भाई प्राप्त होो । इसका मतलब यह है कि इस ब्रह्माड में लक्ष्मण जैसे प्रेम करने वाला बड़े भाई को और दूसरा कोई नहीं है और ना ही कोई ऐसे प्रेम करने वाले आज तक मिले हैं । प्रभु श्री राम लक्ष्मण जी का इतना प्रेम देखकर बहुत खुश होता था । भाई लक्ष्मण जी प्रमाणित किया की पूरे ब्रह्मांड उनके प्रेम से प्रभु राम को कभी वंचित नहीं कर सकते हैं उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ सदैव बड़े भाई के साथ रहकर सेवा करते रहें ।
भगवान श्री राम ,लक्ष्मण ,हनुमान, सुग्रीव ,विभीषण, गुरुर, और पूरे बानर दोलों ने मिलकर रावण के वध करके जब राज्य लौट आई उसके बाद सीता माता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी जहां उनके सती सावित्री की परीक्षा ली थी । सीता मैया ने अग्नि परीक्षा देकर यह प्रमाणित किया कि उनके मन में प्रभु श्री राम ही बसे हैं उनकी पवित्रता से कुछ भी संदेह नहीं रहे ।
लेकिन इधर राज्य वासी सीता मैया को रानी के रूप में स्वीकार नहीं किया इसके लिए भगवान श्री राम फिर से सीता मैया को 14 साल के लिए बनवास भेज दिया था जहां ऋषि वाल्मीकि मनि रहा करते थे सीता माया भी उनके गुरुकुल में रहने लगे और भी राजाओं के पुत्रों शिक्षा प्राप्त करने के लिए ऋषि वाल्मीकि मुनि के पास रहते थे ।
कुछ दिन के बाद सीता मैया दो संतान जन्म दिया जिसका नाम लव और कुश है । जब लव और कुश बड़े हुए तब अपने पिता के अधिकार प्राप्त करने हेतु राज्य में आकर पिता से गुहार लगाया उसके बाद अपने परिचय देकर प्रभु श्री राम के पास लौट आएं ।
इधर बैकुंठ धाम यानी स्वर्ग लोक हाहाकार मचा हुआ है क्योंकि भगवान विष्णु तो इस पृथ्वी लोक पर हैं जिसके कारण स्वर्ग लोक में भी अंधकार छाया हुआ है भगवान विष्णु के बिना ।
इसलिए देवी-देवताओं सभी गुहार लगाया कि हे प्रभु आप आपको अपने बैकुंठ धाम पर वापस आना चाहिए । तब भगवान राम अपने निर्णय लिया कि बैकुंठ धाम पर आगमन करना आवश्यकता है ।
तब प्रभु श्री राम जल समाधि लेने का निर्णय लिया सरयू नदी में । जिस समय प्रभु श्री राम जल समाधि ले रहे थे उस समय अपने सभी भक्तों वहीं खड़े थे हनुमान, जामवंत, सुग्रीव, भरत, शत्रुघ्न आदि सभी लोग खड़े थे। श्री राम की जल समाधि लेने के बाद सभी भक्तों अपने दुख प्रकाश तो कर नहीं सके लेकिन हनुमान प्रभु श्री राम की आज्ञा अभी भी पालन कर रहे हैं ।
तो दोस्तों आप जिसे भगवान कहते हैं उनके भला मृत्यु कैसे हो सकते हैं वह तो भगवान है हम सभी का पालन कर्ता है । भगवान श्री राम अपने शरीर को जल में विलीन कर दिया और अपने वास्तविक विष्णु के रूप धारण किया और सभी भक्तों को दर्शन दिया उसी समय ।
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