मन में गंदा विचार क्यों आता है ?
मन में गंदा विचार क्यों आता है दोस्तों मन में गंदा विचार कई कर्म से आ सकता है जैसे कीजिस समाज में आप रह रहे हैं उसका भी प्रभाव पड़ सकता है, आप जीस संगत से हमेशा उठते बैठते हैं उससे भी प्रभाव पड़ सकता है, अगर आपके परिवार अगर संस्कारी नहीं है तो उससे भी प्रभाव पड़ सकता है । मन में गंदा विचार कभी भी किसी समय आ सकता है लेकिन इसे रोकना आम इंसान कि वश की बात नहीं अगर आपको अपने गंदे विचारों से मुक्त होना है तो आपके लिए नीचे बताया गया आपको करना क्या है जनें। तो दोस्तों अगर आप हमारे वेबसाइट में नए मेंबर हैं तो कृपया करके हमारे साथ जुड़ने के लिए फॉलो करेंजब भी कोई नया जानकारी अपडेट होगा तो आपके पास पहले नोटिफिकेशन पहुंचेंगे ।
मन में गंदे विचारों से परेशान है तो आपको यह बौद्ध कहानी जरूर सुनना चाहिए - एक गांव में एक जवान लड़का रहता था वह बहुत परेशान था क्योंकि उसकी मन उन्हें चीजों के बारे में सोचता रहता इसके बारे में वह नहीं सोचना चाहता था । वह अपनी छोटी-छोटी क्षणिक खुशियों के लिए अपने दिन का ज्यादातर समय बर्बाद कर देता और फिर बाद में इसके लिए पश्चाताप करता लेकिन वह ना चाहते हुए भी अगले दिन फिर उन्हें आदतों को दोहराता । वह अपने माता-पिता का अकेला लड़का था माता-पिता धीरे-धीरे बूढ़े हो रहे थे और वह जवान लेकिन वह कुछ भी ऐसा नहीं कर पा रहा था जिससे उसके माता-पिता को उसे पर गर्व हो । वह जानता तो था कि वह अपने समय और जिंदगी के साथ गलत कर रहा है लेकिन वह बहुत कोशिश करने के बाद भी खुद को बदल नहीं पा रहा था वह अपनी समस्याओं के बारे में दूसरे बड़े लोगों को बताता और लोग उसे तरह-तरह के सुझाव देते । लेकिन फिर भी कुछ भी बदलाव नहीं आ रहा था अब तो उस लड़के को भी ऐसा लगने लगा था कि उसका बाकी का जीवन ऐसे ही मानसिक बोझ और बुरी आदतों के साथ बितने वाला है इसलिए अब वह बहुत ही उदास और परेशान रहने लगा था ।
एक दिन ऐसे हुए अपने विचारों में खोया हुआ अपने गांव के तालाब के किनारे बैठा हुआ था तभी पीछे से उसका एक मित्र भागता हुआ आया और बड़े उत्साह से उसके कंधे पर हाथ रख कर बोला मित्र मुझे तुम्हारी सभी समस्याओं का समाधान मिल गया है । अपने मित्र के मुंह से यह बात सुनकर वह लड़का बहुत खुश हो जाता है और पूछता है क्या समाधान मिला मेरी समस्याओं का ? लड़के के मित्र ने कहा ध्यान तुम्हारी सभी समस्याओं का समाधान है, लड़के ने कहा यह ध्यान क्या होता है ? मित्र ने कहा, कल हमारे गांव में एक बौद्ध भिक्षु भिक्षाटन के लिए आए थे गांव के सभी लोग उन बौद्ध भिक्षु से अपनी अपनी समस्याओं का समाधान पूछ रहे थे तो मैंने सोचा कि मैं भी तुम्हारी समस्या का समाधान पूछ लेता हूं तो मैं उन बौद्ध भिक्षु से अपने मन को काबू में करने का तरीका पूछा मेरा प्रश्न सुनकर उन बौद्ध भीकशु ने ज्यादा तो कुछ नहीं कहा बस इतना ही कहा कि ध्यान । ध्यान जीवन की सभी समस्याओं का समाधान है मैंने सोचा कि तुम्हें ध्यान के बारे में पता होगा इसलिए मैंने उन बौद्ध भिक्षु से ध्यान के विषय में ज्यादा कुछ नहीं पूछा । अपने मित्र की बात सुनकर उस लड़के ने कहा मुझे उन बौद्ध भिक्षु से मिलना है । वह लड़का और उसका मित्र बौद्ध भिक्षु को ढूंढने निकल पड़ते हैं, बहुत पूछताछ और खोज में सकेंत के बाद उन्हें वह बौद्ध भिक्षु बगल के एक गांव में एक पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए मिलते हैं । वे दोनों उस बौद्ध भिक्षु के पास जाकर बैठ जाते हैं और उनकी आंखें खुलना का इंतजार करते हैं थोड़ी देर बाद जब बौद्ध भिक्षु अपनी आंखें खोलते हैं तो वह उन्हें प्रणाम करते हैं और कहते हैं आपने यह तो बता दिया कि ध्यान जीवन की सभी समस्याओं का समाधान है लेकिन आपने यह नहीं बताया कि ध्यान है क्या । बौद्ध भिक्षु ने कहा ध्यान क्या है ? इसको मैं शब्दों में समझा पाऊं इतनी मुझ में समर्थ नहीं लेकिन तुम लोगों ने प्रश्न किया है तो मुझे कुछ ना कुछ तो बताना ही पड़ेगा तो सुनो : ध्यान का मतलब है ना कोई प्रश्न, ना कोई उत्तर, ना कोई विचार, और ना ही कोई भावना यह एक ऐसी स्थिति है जो हमारी वास्तविकता से हमारा परिचय करवाती है । इस स्थिति में पहुंचकर व्यक्ति के अंदर कोई भी प्रश्न कोई भी उलझन शेष नहीं रह जाती है क्योंकि उसके सामने सब कुछ स्पष्ट हो जाता है उस जीवन की व्यस्तता का पूर्णता आभास हो जाता है । लड़के ने पूछा लेकिन ध्यान की ऐसी स्थिति को कैसे प्राप्त किया जा सकता है ? बौद्ध भिक्षु ने कहा ध्यान करना बहुत आसान है, क्या तुम्हें बैठना आता है ? लड़के ने कहा हां मैं बैठ सकता हूं, बौद्ध भिक्षु ने कहा कितनी देर तक बैठ सकते हो ? लड़के ने कहा ऐसे तो कभी आजमाया नहीं लेकिन जितनी देर तक चाहूं उतनी देर तक बैठ सकता हूं । बौद्ध भिक्षु ने कहा रोज एक घंटा आंख बंद करके सीधा बैठना है । लड़के ने पूछा कब और कहां बैठना है ? बौद्ध भिक्षु ने कहा कभी भी और कहीं भी बस जगह शांत और एकांत होनी चाहिए । लड़के ने फिर प्रश्न किया मेरे मन के यह गंदे विचार और मेरी बुरी आदतें कितने दिन में छूट जाएगी ? बौद्ध भिक्षु ने कहा सिर्फ एक दिन में अगर तुम 24 घंटे आंख बंद करके बैठ सको तो बौद्ध भिक्षु से आज्ञा लेकर लड़का अपने घर आ जाता है और ध्यान करने बैठ जाता है ।
लड़के जैसे अपनी आंखें बंद करके बैठता है उसके मन में तरह-तरह के विचार उठने शुरू हो जाते हैं । क्या ध्यान करने से सचमुच कुछ फायदा होगा मैं अपनी बुरी आदतों को छोड़ भी पाऊंगा या नहीं आखिर सभी लोग मेरी इज्जत कब करेंगे मैं तो उसे प्रेम करता हूं लेकिन वह मुझसे प्रेम क्यों नहीं करती मैं ऐसा क्या करूं कि मैं बहुत सा धन कमाऊं और अपने गांव का सबसे अमीर व्यक्ति बन जाऊं इसी तरह के और भी विचार उसके मन में लगातार उठने लगे । फिर उसे ध्यान आया कि भिक्षु ने कहा था ध्यान की अवस्था में कोई विचार कोई भावनाएं नहीं होती अब वह अपने विचारों को रोकने का प्रयास करें लेकिन क्या बहती नदी के पानी को कभी कोई रोक पाया है । वह लड़का भी अपने विचारों को नहीं रोक पाता और आंखें खोलकर बैठ जाता है और सोचता है अब तक के जीवन में बहुत से काम किया लेकिन इतना मुश्किल काम कभी ना किया था और वह बौद्ध भिक्षु बोल रहे थे कि ध्यान करना बहुत ही आसान है वैसे लड़का उन बौद्ध भिक्षु से मिलने दोबारा अपने घर से निकल पड़ता है और उनके पास पहुंचकर कहता है । आपने तो कहा था कि ध्यान करना बहुत ही आसान है लेकिन यह तो मुझे दुनिया का सबसे मुश्किल काम लग रहा है मेरे बहुत प्रयास करने के बाद भी मेरे मन में विचार उठने बंदी नहीं हो रहे हैं ।
बौद्ध भिक्षु ने कहा लेकिन तुमसे विचारों को रोकने के लिए किसने कहा है लड़के ने कहा तो फिर विचार रहित स्थिति कैसे प्राप्त होगी, आपने तो कहा था कि ध्यान में कोई विचार कोई प्रश्न नहीं होते बौद्धिक शिक्षा ने कहा हमारे दिमाग में हर समय बहुत से विचार जन्म लेते हैं और मरते हैं । लेकिन हमारा मन उनमें से किसी एक विचार को पकड़ लेता है और फिर उससे जुड़े विचारों के बारे में सोचता चला जाता है इस तरीके से हमारा मन विचारों में उलझ जाता है और हम भूल जाते हैं कि हम क्या कर रहे थे । जब तुम ध्यान करने बैठोगे तो तुम्हारे दिमाग में भी बहुत से विचार उठाएंगे और खत्म हो जाएंगे लेकिन तुम्हें किसी भी विचार का चुनाव नहीं करना बस उन्हें देखना है तुम्हारे मन में विचार उठाएंगे और खत्म हो जाएंगे धीरे-धीरे समय के साथ इन विचारों के उठने की गति कम होती चली जाएगी । बौद्ध भिक्षु के मुंह से यह सारी बातें सुनकर वह लड़का अपने घर वापस आ जाता है और दोबारा ध्यान करने के लिए बैठ जाता है । इस बार वह लड़का बौद्ध भिक्षु के बताए अनुसार अपने मन में उठ रहे विचारों को देखा है वह कुछ देर तक तो विचारों को साक्षी भाव से देख पता है लेकिन फिर उसके मन में ऐसी विचार उठते हैं जिनके बारे में सोचने से वह खुद को रोक नहीं पता और वह गहरी विचारों में खो जाता है । कुछ देर बाद उसे याद आता है कि वह तो ध्यान कर रहा था वह दोबारा विचारों को देखने का प्रयास करता है लेकिन इस बार उसकी मन दूसरी चाल चलता है अब उसके मन में अश्लील विचार उठने लगते हैं वह लड़का सोचता है कि ध्यान जैसी पवित्र स्थिति में यह बुरे विचार क्यों उठ रहे हैं वह अपने मन में उठ रहे अश्लील और गंदे विचारों को रोकने का बहुत प्रयास करता है । लेकिन वह उन्हें रोक नहीं पता उसके मन में लगातार बस ऐसे ही विचार उठ रहे थे बहुत देर तक प्रयास करने के बाद जब वह लड़का परेशान हो जाता है तो वह ध्यान से उठकर सीधा उन बौद्ध भिक्षु के पास पहुंचता है । और कहता है मैं जब भी अपनी आंखें बंद करके ध्यान करने के लिए बैठता हूं तो मेरे मन में सिर्फ अश्लील और गंदे विचार ही आते हैं ।
बौद्ध भिक्षु ने कहा कोई भी विचार अच्छा या बुरा नहीं होता इसीलिए किसी भी विचार को बुरा समझ कर उसे जबरदस्ती दबाने का प्रयास मत करो । क्योंकि हमारे द्वारा विचारों का विरोध ही उन्हें और भी शक्तिशाली बनाता है इसीलिए किसी भी विचार का दमन करने का प्रयास मत करो क्योंकि इस मन की प्रकृति ही ऐसी है कि हम इसे जिस चीज के बारे में सोचने से रोकते हैं यह उसी चीज के बारे में सबसे ज्यादा सोचता है । इसीलिए तुम्हारा विचारों को रोकने का प्रयास व्यर्थ है और जिन विचारों को तुम गंदे वह अश्लील विचार कह रहे हो वह विचार भी तुम्हारे जीवन का एक हिस्सा है । इंसानी जीवन को आगे बढ़ाने के लिए इन विचारों का उठना भी जरूरी है एक बात हमेशा याद रखना की जीवन में हम जिस भी चीज को आशीर्वाद करते हैं हमारा मन उसी चीज में सबसे ज्यादा रस देने लगता है । इसलिए जीवन की किसी भी सच्चाई को नजर अंदाज करने का प्रयास मत करो हर चीजको स्वीकार समय कामवासना के विचारों में ही डूबे रहो । तुम्हें यह समझना होगा की कामवासना हमारे जीवन का एक छोटा सा हिस्सा मात्र है पूरा जीवन नहीं । तो जीवन के इस पहलू को भी स्वीकारो और आगे बढ़ो क्योंकि इस जीवन में इसके आगे भी बहुत कुछ जानने के लिए है । लड़के ने कहा लेकिन हमारा मन हमारे साथ इतनी चलें क्यों चलता है कि हमारा मन ही हमारा शत्रु है । बौद्ध भिक्षु ने कहा नहीं मन हमारा शत्रु नहीं है यह तो बस उन्हीं चीजों को अनुभव करना चाहता है जिसमें इस आराम मिला आनंद आए इसीलिए जब हम कोई ऐसा काम करते हैं जिसमें शुरू में ही मन को आनंद नहीं मिलता तो हमारा मन उस काम का विरोध करता है । बौद्ध भिक्षु ने आगे कहा अगर तुम अपने मन से बुरे विचारों को खत्म करना चाहते हो तो अपनी आदतों को बदलो आदतों को तुम केवल तभी बदल सकते हो जब तुम्हारा मन तुम्हारे काबू में होगा और तुम्हारा मन तुम्हारे काबू में तभी आएगा जब तुम खुद को जानोगे जब तुम स्वयं को अनुभव करोगे जब तुम ध्यान का अनुभव करोगे जब तुम अपना आहार का ध्यान दोगे यानी यदि तुम शाकाहारी भोजन करोगे तो तुम्हारे मन भी शाकाहारी जैसे होंगे । इतना कहकर बौद्ध भिक्षु खड़े हो गए और एक हल्की सी मुस्कान के साथ उसे लड़के के माथे पर अपना हाथ रख दिया इसके बाद उन्होंने अपना भिक्षा पात्र उठाया और वहां से चले गए । वह लड़का उन बौद्ध भिक्षु को जाता हुआ देखता रहा लेकिन अब वह बहुत खुश था क्योंकि उसे अपनी समस्याओं का समाधान मिल चुका था ध्यान के रूप में वह समझ गया था कि उसे हर रोज ध्यान के लिए बैठना है और उसे अपने आते-जाते विचारों को देखना है लेकिन किसी भी विचार को पकड़ना नहीं है । समय के साथ वह विचार खुद ही गायब होते चले जाएंगे साथ ही वह यह भी समझ गया था कि कोई भी विचार अच्छा या बुरा नहीं होता विचार सिर्फ एक अदृश्य होता है । इसीलिए विचारों का विरोध करना भी व्यर्थ है । तो दोस्तों हमारे आर्टिकल आपको कैसे लगा कमेंट करके जरूर बताइए और हमारे साथ जुड़ने के लिए फॉलो करें ।