अजूबे जंगली शहर माचू पिचू

 

Ajube



यह वास्तव में इंका का पहाड़ी सिटी  देखने के बाद हर कोई चौक जाएंगे । दुनिया के अजूबा पहाड़ी शहर माचू पिचू ।


हमारे पूर्वजों ने जिस प्रकार अपने बुद्धि से तजुर्बा दिखाया आज के युग में ऐसे करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है । ऐसे  विश्व में अजूबे चीज दूसरा और कहीं नहीं है है जहां यह साबित करके गया कि उनके मुकाबला करना हमारे लिए संभव नहीं है । तो मित्रों आज यही अजूबे शहर के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जिससे आपको हैरान कर देने वाले हैं । पहाड़ी जंगल में शहर बना हुआ है जिसे देखने के बाद कोई भी इंसान वहां से आने की नाम तक नहीं करते हैं इतनी खूबसूरत अपने हाथों से बनाया कि लोग जाने के बाद देखते ही रह जाते हैं । 

तो आइए मित्रो आज वही जंगली शहर माचू पिचू के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं यह जगह कहां पर स्थित है ?


 जब खोजकर्ता हिराम बिंघम जी ने 1911 में माचू पिचू का सामना किया, तो वह एक अलग शहर की तलाश कर रहा था, जिसे विलंबम्बा के नाम से जाना जाता है।  यह एक छिपी हुई राजधानी थी, जिसमें 1532 में स्पेनिश विजय प्राप्त करने के बाद इंका बच गया था। समय के साथ यह इंका की प्रसिद्ध लॉस्ट सिटी के रूप में प्रसिद्ध हो गया।  बिंगहैम ने अपने जीवन का अधिकांश समय यह तर्क देते हुए बिताया कि माचू पिचू और विलकाबम्बा एक थे और एक ही, एक सिद्धांत जो 1956 में उनकी मृत्यु के बाद तक गलत साबित नहीं हुआ था। (वास्तविक विलकाबम्बा अब माना जाता है कि लगभग 50 मील की दूरी पर बनाया गया है।  माचू पिचू के पश्चिम।) हालिया शोध ने इस बात पर संदेह जताया है कि क्या माचू पिचू को कभी भी भुला दिया गया था।  जब बिंघम पहुंचे, किसानों के तीन परिवार रह रहे थे ...

1430 ई. के आसपास इंकाओं ने इसका निर्माण अपने राज शासकों के आधिकारिक स्थल के रूप में शुरू किया था, लेकिन इसके लगभग सौ साल बाद, जब इंकाओं पर स्पेनियों ने विजय प्राप्त कर ली तो इसे यूँ ही छोड़ दिया गया। हालांकि स्थानीय लोग इसे शुरु से जानते थे पर सारे विश्व को इससे परिचित कराने का श्रेय हीरम बिंघम को सूचना दी जो एक अमेरिकी इतिहासकार थे और उन्होने इसकी खोज 1911 में की थी, तब से माचू पिच्चू एक महत्वपूर्ण पर्यटन आकर्षण बन गया है।


माचू पिच्चू को 👉1981 में पेरू का एक ऐतिहासिक देवालय घोषित किया गया और 1983 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल की दर्जा दिया गया। क्योंकि इसे स्पेनियों ने इंकाओं पर विजय प्राप्त करने के बाद भी नहीं लूटा था, इसलिए इस स्थल का एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में विशेष महत्व है और इसे एक पवित्र स्थान भी माना जाता है।


माचू पिच्चू को इंकाओं की पुरातन शैली में बनाया था जिसमें पॉलिश किये हुए पत्थरों का प्रयोग हुआ था। इसके प्राथमिक भवनों में इंतीहुआताना (सूर्य का मंदिर) और तीन खिड़कियों वाला कक्ष प्रमुख हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार यह भवन माचू पिच्चू के पवित्र जिले में स्थित हैं। सितम्बर 2007, पेरू और येल विश्वविद्यालय के बीच एक सहमति बनी की वो सभी शिल्प जो हीरम बिंघम माचू पिच्चू की खोज के बाद अपने साथ ले गये थे वो पेरू को लौटा दीया

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