बृहदेश्वर मंदिर किस राज्य में है ? जानिए विस्तार से

 बृहदेश्वर मंदिर किस राज्य में है ? जानिए विस्तार से 

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मित्र नमस्कार बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण कैसे किया जानिए हकीकत हमारे साथ । हजारों साल पहले ना कोई आपकी जैसे मशीनरी थी और ना ही कोई टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करने वाले सामान । माना जाता है कि बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण बड़े-बड़े हाथी जानवरों के मदद से किया गया तो हकीकत में क्या है आइए जानते हैं ।


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बृहदीश्वर मन्दिर का निर्माण 1003-1010 ई. के  मध्यम किया सर्वप्रथम राजराज चोल ने करवाया था। इस मंदिर का नाम राजराजेश्वर मन्दिर का नाम भी दिया जाता है। यह अपने समय के विश्व के विशालतम भव्य मंदिर में गिना जाता था यह एक हिंदू धर्म के आस्था के प्रतीक हैं ऊंचाई लगभग 66 मीटर है। इस मंदिर में भगवान शिव की आराधना एवं पूजा की जाती हैं ।


इस मंदिर के हर कोने में - वास्तुकला, पाषाण व ताम्र में शिल्पांकन, प्रतिमा विज्ञान, चित्रांकन, नृत्य, संगीत, आभूषण एवं उत्कीर्णकला का भंडार है। यह मंदिर उत्कीर्ण हिंदू संस्कृत व तमिल पुरालेख सुलेखों का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर के निर्माण के बाद चमत्कार यह है कि इसके गुंबद की परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती शिखर पर स्वर्णकलश स्थित है। बता देता हूं जिस पाषाण पर यह कलश स्थित है, लगभग उसका भार (80 टन) है और यह एक ही पाषाण से बना है। मंदिर में स्थापित विशाल, भव्य शिवलिंग को देखने पर उनका वृहदेश्वर नाम सर्वथा उपयुक्त प्रतीत होता है।


इस मंदिर में प्रवेश करने पर गोपुरम्‌ के भीतर एक चौकोर मंडप है। वहां चबूतरे पर नन्दी जी विराजमान हैं। 👉नन्दी जी की यह प्रतिमा 6 मीटर लंबी, 2.6 मीटर चौड़ी तथा 3.7 मीटर ऊंची है। भारतवर्ष में एक ही पत्थर से निर्मित नन्दी जी की यह दूसरी सर्वाधिक विशाल प्रतिमा है। 


जानिए बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण कैसे किया




 प्रिय मित्रों मैं बताना चाहेंगे कि बृहदीश्वर मन्दिर तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक हिंदू मंदिर है जो 11वीं सदी के आरम्भ में बनाया गया था। इस मंदिर को तमिल भाषा में बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है। प्रिय मित्रों विश्व में ऐसा मंदिर और कहीं नहीं है अगर आप दर्शन करना चाहते हैं तो जरूर जाइए तमिलनाडु ।

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